इस केस में कोई प्रत्यक्षदर्शी और विश्वसनीय साक्षी नहीं है।
3.
इस प्रकार यह साक्षी विश्वसनीय साक्षी प्रतीत नहीं होती है।
4.
इन परिस्थितियों में यह साक्षी विश्वसनीय साक्षी नहीं कहा जा सकता।
5.
अवर न्यायालय द्वारा पत्रावली का सम्यक परिशीलन नहीं किया गया है तथा बिना किसी विश्वसनीय साक्षी की साक्ष्य अंकित किये निगरानीकर्ता के विरूद्ध तलवी आदेश पारित किया है।
6.
किसी विश्वसनीय साक्षी को इस आधार पर तिरस्कृत कर देना सम्भव नहीं कि कुछ अन्य साक्षी भी थे जो अभियोजन कथन का समर्थन कर सकते थे, किन्तु उन्हें पेश नहीं किया गया।
7.
अग्निपरीक्षा सरीखी अनोखी और मर्मान्तक घटना का प्रचार तो स्वयं ही हो गया होगा, अन्यथा राम इस सत्य का प्रचार तो करवा ही सकते थे क्योंकि उनके पास एक से एक विश्वसनीय साक्षी थे ।
8.
अग्निपरीक्षा सरीखी अनोखी और मर्मान्तक घटना का प्रचार तो स्वयं ही हो गया होगा, अन्यथा राम का कर्तव्य बनता था कि वे इस सत्य का प्रचार करवाते क्योंकि उनके पास एक से एक विश्वसनीय साक्षी थे ।
9.
अग्निपरीक्षा सरीखी अनोखी और मर्मान्तक घटना का प्रचार तो स्वयं ही हो गया होगा, अन्यथा राम का कर्तव्य बनता था कि वे इस सत्य का प्रचार करवाते क्योंकि उनके पास एक से एक विश्वसनीय साक्षी थे ।
10.
इन शपथ पत्रों के आधार पर अभियोजन पक्ष का तर्क है कि इन दोनों गवाह के बयान से स्पष्ट है कि अभियुक्तगण के दबंगई के कारण पक्षद्रोही हो गये है, इसलिए अभियुक्तगण को इस आधार पर दंडित किया जा सकता है और इन दोनों को विश्वसनीय साक्षी माना जाना चाहिए।